जीवन में अगर कुछ भी नहीं हो हमारे पास, तब इस पर्यावरण ने हमें सब कुछ दिया ! जीवन में अगर कुछ भी नहीं हो हमारे पास, तब इस पर्यावरण ने हमें सब कुछ दिया !
Poem describes the torn up world of ours. Poem describes the torn up world of ours.
कोई जीने का सबब ढूंढ रहा है, कभी मरने का अस्बाब ढूंढ रहा है। कोई जीने का सबब ढूंढ रहा है, कभी मरने का अस्बाब ढूंढ रहा है।
महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है ! महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है !
मेरे आँगन में बिख़री ख़ामोशी को समेट दे आकेतेरे बाद, मेरे घर में तन्हाई का वास हो गया है मेरे आँगन में बिख़री ख़ामोशी को समेट दे आकेतेरे बाद, मेरे घर में तन्हाई का वास हो ...
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।